योगिनी एकादशी 2017 व्रत कथा - Yogini ekadashi vrat ka mahatav katha puja vidhi hindi HD

07.06.2017
योगिनी एकादशी 2017 व्रत कथा - Yogini ekadashi vrat ka mahatav katha puja vidhi hindi Official Link : https://goo.gl/QF52OF ध्यान रहें कि सारा दिन अन्न का सेवन किए बिना ही सत्कर्म में अपना समय बिताना ज़रूरी होता है और इस दिन भूखे को अन्न तथा प्यासे को जल पिलाना नहीं भूलना चाहिए। जान लें कि इस व्रत में केवल फलाहार का ही विधान है। वहीं, रात को खासकर के घर के पास के मंदिर में दीपदान करें और याद से प्रभु नाम का संकीर्तन करते हुए जागरण करें। यहां जानें: व्रत का पुण्यफल ऐसा मानना है कि जिस भी कामना से कोई भक्त संकल्प करके इस विशेष एकादशी का व्रत करता है उसकी हर कामनाएं बहुत जल्दी पूरी हो जाती है, वहीं जीव के सभी पापों एवं विभिन्न प्रकार के पातकों से भी छुटकारा मिलता है। अगर आप किसी के दिए हुए श्राप से ग्रसित हैं तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह व्रत फलदायक है। यह सच है कि इस व्रत के प्रभाव से हर प्रकार के रोग चाहे वह चर्म रोग ही क्यों ना हो, उससे भी छुटकारा मिल जाती है। दान किसे दें – यह हम सभी जानते हैं कि किसी को दिया गया दान कभी व्यर्थ नहीं जाता है वह सदा ही पुण्यफलदायक ही होता है। वहीं, शास्त्रों के अनुसार किसी भी प्रकार का दान करते समय ब्राह्मण को दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए। क्या है जागरण की महिमा – ध्यान रहें कि इस एकादशी व्रत में रात्रि जागरण की अत्यधिक महिमा मानी जाती है। यही नहीं, स्कंदपुराण के अनुसार जो लोग रात्रि जागरण करते हुए वैष्णवशास्त्र का पाठ करते हैं, उनके करोड़ों जन्मों के पाप एक पल में नष्ट हो जाते हैं। यहां जानें एकादशी से जुड़ी कथा – कहते हैं कि पद्मपुराण के अनुसार स्वर्गलोक में इन्द्र की अलकापुरी में यक्षों के राजा कुबेर रहा करते थे। शिव के भक्त थे कुबेर.. उनके लिए रोज़ हेम नामक उनका माली आधी रात को फूल लेने मानसरोवर जाया करता था और सुबह राजा कुबेर के पास पहुंचाता था। एक दिन की बात है जब माली हेम रात को फूल तो ले आया लेकिन वह अपनी पत्नी के प्यार में ऐसा खो गया कि वह अपने घर विश्राम के लिए ही रुक गया। सुबह जब राजा कुबेर के पास भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए फूल मौजूद नहीं होने पर राजा गुस्से में लाल हो गए और तुरंत अपने सेवकों को कारण बताने के लिए हेम माली को बुलाकर लाने का आदेश दे डाला। वहीं, हेम माली से कारण पता लग जाने पर राजा कुबेर ने क्रोध में आकर उसे श्राप दे दिया कि तुझे स्त्री वियोग सहन करना पड़ेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होना पड़ेगा। कुबेर के श्राप से हेम माली स्वर्ग से पृथ्वी पर जा गिरा और उसी क्षण कोढ़ी भी हो गया। भूख-प्यास से तड़पता हुआ व दुखी होकर वह भटकते हुए एक दिन मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा और राजा कुबेर से मिले श्राप के बारे में उन्हें विस्तार से बताया। हेम माली की सारी बातें सुनने के बाद मार्कंडेय ऋषि ने उसे आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे भाव और पूरे विधि-विधान से करने की सलाह दी। बता दें कि हेम माली ने व्रत किया और उसके प्रभाव से उसे राजा कुबेर के श्राप से मुक्ति भी मिल गई।

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